
“अखंड भारत” — सुनते ही जैसे वीर रस में डूबे टीवी डिबेट्स, सोशल मीडिया पोस्ट और WhatsApp यूनिवर्स की जयजयकार शुरू हो जाती है। पर जरा सोचिए, अगर ये सपना सच्चाई बन जाए तो?
“भाईसाहब, सपना देखने में GST नहीं लगता, पर अगर ये सपना रियलिटी में बदले, तो अफगानिस्तान से लेकर अंडमान तक सिरदर्द मुफ्त में मिलेगा।”
South Asia का फुल पैकेज!
“अखंड भारत” की थ्योरी के मुताबिक, इसमें शामिल होते:
देश | अनुमानित जनसंख्या (2025) |
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भारत | ~142 करोड़ |
पाकिस्तान | ~25 करोड़ |
बांग्लादेश | ~17 करोड़ |
नेपाल | ~3 करोड़ |
श्रीलंका | ~2.2 करोड़ |
म्यांमार | ~5.5 करोड़ |
अफगानिस्तान | ~4 करोड़ |
भूटान | ~0.08 करोड़ |
मालदीव | ~0.06 करोड़ |
कुल जनसंख्या: ~199 करोड़ (1.99 अरब)
“इतनी आबादी कि IPL में हर देश को अपनी खुद की टीम देनी पड़े!”
सेना की बात करें तो?
संयुक्त सेना के अनुमान (2025):
देश | सक्रिय सैनिक |
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भारत | ~14 लाख |
पाकिस्तान | ~6.5 लाख |
म्यांमार | ~4.5 लाख |
बांग्लादेश | ~2.3 लाख |
श्रीलंका | ~2 लाख |
नेपाल | ~96,000 |
अफगानिस्तान | ~1.7 लाख |
भूटान | ~8,000 |
कुल सक्रिय सेना: ~32–35 लाख
“मतलब चीन बोलेगा – भाई तुम ही रख लो UN की सुरक्षा!”
समस्याएँ कम नहीं, सिरदर्द फुलटाइम
1. धर्मों का महाकुंभ
हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, सिख, ईसाई — सब मिलेंगे। पर राम मंदिर के बगल में बौद्ध विहार बनेगा या मस्जिद?
BREAKING NEWS हर दिन होगी!
2. राजनीति में PUBG
जहां भारत में लोकतंत्र है, वहीं पाकिस्तान में कभी सेना ही सरकार है, म्यांमार में तो Military ही Login नहीं करने देती।
3. भाषाई बवाल
100+ भाषाएं। बंगाली बोलेगा, पंजाबी बोलेगा, तमिल बोलेगा। फिर केंद्र बोलेगा – भाई कौन सा बोले?
“संविधान में 8वीं अनुसूची क्या, अब 18वीं लेकर आओ!”
4. आतंकवाद और विद्रोह
कश्मीर से लेकर बलूचिस्तान और म्यांमार तक – “हर राज्य बोलेगा – मुझे आज़ादी चाहिए, बस GST मत लेना!”
5. आर्थिक इम्तिहान
भारत, बांग्लादेश बढ़ते हुए इकॉनमी, पर पाकिस्तान-अफगानिस्तान बोले – “भाई खाता खुलवाओ पहले, फिर विकास करेंगे।”
कुछ फायदे भी हैं (अगर सब माने तो…)
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आर्थिक सुपरपावर बन सकते थे – इतना बड़ा बाजार कि Amazon भी बोले – “अब तो दुकान यहीं खोलते हैं।”
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संयुक्त सेना – सुरक्षा के लिए NATO की भी छुट्टी!
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सांस्कृतिक टूरिज्म – हिमालय से रामेश्वरम, कंधार से कोलकाता तक घूमो बिना पासपोर्ट।
बड़ा सपना, पर हकीकत में ये है सियासी सिरगेट!
अखंड भारत का सपना सुनने में शेर जैसा लगता है, लेकिन हकीकत में वो बिल्ली निकलेगा जो हर दरवाजे पर झगड़ रही है। हर राज्य, हर समुदाय अपनी पहचान, भाषा, संस्कृति के लिए लड़ेगा। संविधान बनाएंगे या पंचायत बैठाएँगे?
क्या अफगान संसद में तमिल सांसद बैठ पाएगा?
“देश का नक्शा तो बड़ा हो जाएगा, पर न्यूज़ चैनलों का टाइमटेबल 48 घंटे का करना पड़ेगा!”
अखंड भारत एक भावनात्मक, ऐतिहासिक, और राष्ट्रवादी कल्पना है। लेकिन इसे व्यवहार में लाना वैसा ही है जैसे पूरी साउथ एशिया को एक WhatsApp ग्रुप में डाल देना — जहां सब Admin बनना चाहते हैं, पर कोई Group Rule नहीं मानता।
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